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About The Book
Description
Author
सुशीला जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को देखते हुए कहा जा सकता है कि देखने में सामान्य दिखाई देने वाली इस महिला के दिल और दिमाग में कितने विचारों और भावनाओं के तूफान समाए हुए हैं। तीखी और पारखी नजर से समाज में जहाँ भी कुछ विशेष देखती हैं-उसे वे अपने साहित्य का विषय बनाकर चिकित्सात्मक रूप में समाज तक पहुंचाती हैं ताकि पाठक समाज उसे पढ़कर समाज की वर्तमान समस्याओं को समझ सके और उन्हें सुलझाने में अपना योगदान दे सके। वे स्वयं प्राध्यापिका रहीं हैं। शिक्षक समाज को दिशा देता है-इस दृष्टि से अपने अध्यापन लेखन और उद्बोधन के माध्यम से वे समाज को दिशा देने का प्रयत्न कर रही हैं। आपने अपने अनुभवों और अनुभूतियों से हिन्दी साहित्य के भंडार को समृद्ध किया है। निकट भविष्य में उनके अनेक ग्रन्थ प्रकाशन की योजना है। उनके काव्य और कथा साहित्य में उनके जीवन और व्यक्तित्व का रूप झलकता है। इस तरह वे हमेशा अपने पाठक समाज के साथ हैं।