Dalit Sahitya : Anubhav Sangharsh Evam Yatharth

About The Book

प्रस्तुत पुस्तक में दलित साहित्य की अन्त:चेतना को समझने की कोशिश की गई है जिसमें कवि-कहानीकार के रूप में दलित रचनाकार को अपनी रचना-प्रक्रिया के द्वारा दलित साहित्य की आन्तरिकता को तलाश करने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है। दलित लेखक किसी समूह मसलन—किसी जाति विशेष सम्प्रदाय के खिलाफ नहीं है व्यवस्था के विरुद्ध है। दलितों की प्राथमिक आवश्यकता अपनी अस्मिता की तलाश है जो हजारों साल के इतिहास में दबा दी गई है। दलित साहित्य में जो आक्रोश दिखाई देता है वह ऊर्जा का काम कर रहा है जिसकी उपस्थिति को गैैर-दलित आलोचक नकारात्मकता की दृष्टि से देखते हैं जबकि वह दलित साहित्य को गतिशीलता के साथ जीवन्त भी बनाता है। आज भी भारत में जाति-व्यवस्था का अन रूप अनेक प्रतिभाओं के विनाश का कारण बनता है। लेकिन भारतीय मनीषा की महानता पर कोई फर्कनहीं पड़ता। आज भी दलितों को पीने के पानी तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है दलित आत्मकथाएँ इन सबको पूरी ईमानदारी से बेनकाब करती हैं। दलित कहानियाँ समाज में रचे-बसे जातिवाद की भयावह स्थितियों से संघर्ष करने के साथ-साथ समाज में घृणा की जगह प्रेम की पक्षधरता दिखाती हैं। भारतीय समाज-व्यवस्था की असमानता पर आधारित जीवन की विषमताओं विसंगतियों के बीच से दलित कविता का जन्म हुआ है जो नकार विद्रोह और संघर्ष की चेतना के साथ सामाजिक बदलाव के लिए प्रतिबद्ध है वह जीवन-मूल्यों की पक्षधर है। आलोचक उसके रूप और शिल्प-विधान को तलाश करते हुए उसकी आन्तरिक ऊर्जा को नहीं देखते हैं। दलित साहित्य-विमर्श में यदि यह पुस्तक कुछ जोड़ पाती है तो मुझे बेहद खुशी होगी। —भूमिका से.
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE