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About The Book
Description
Author
साँस फूलने की कष्टप्रद बीमारी का नाम दमा (अस्थमा) है। यह श्वसन नलिकाओं में पैदा हो चुकी पुरानी शोथ का परिणाम होती है। दमा रोग को लेकर आम लोगों के बीच पुराने समय से ही एक धारणा बनी हुई है कि दमा दम के साथ ही जाता है। लेकिन यह धारणा पूरी तरह से सत्य नहीं है। यद्यपि अभी तक दुनिया भर में कहीं भी ऐसी कोई दवा नहीं बन पाई या उपचार खोजा जा सका है जो इस रोग को जड़ से मिटा सके; फिर भी विदेशों में ही नहीं बल्कि हमारे देश में भी अनेक लोग ऐसे हुए हैं जिन्होंने इस कष्टप्रद रोग दमा से लड़ते हुए सफलता प्राप्त की। फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर.टी.एच. लेनेक जिन्होंने चिकित्सा जगत को स्टेथेस्कोप जैसा महत्त्वपूर्ण यंत्र दिया से लेकर अमेरिका के महान राष्ट्रपति लिंकन और अपने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद तक का उदाहरण लिया जा सकता है। इन लोगों ने अपने इस रोग को अपने ऊपर बिल्कुल हावी नहीं होने दिया।इस पुस्तक की सबसे खास बात यह है कि इसमें दमा को नियंत्रित रखने वाले सूत्र भी बताए गए हैं।अगर दमा का रोगी समझदार है तो अपने विवेक से अपनी जीवनशैली खान-पान एवं अपने रहन-सहन में उपयुक्त बदलाव करके तथा सही रूप में उपयुक्त दवाओं एवं नियमित रूप से प्राणायाम और योग द्वारा रोग पर काबू पा सकते हैं।