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About The Book
Description
Author
कविता मेरे लिए मानव जीवन की विवशता को प्रकट करने का माध्यम है मेरी कविताएँ पूर्वजों की खेती की हरियाली से गुजरकर वर्तमान के बंजर होते खलिहानों की दास्ताँ है मैंने बचपन में किसानों का संघर्ष देखा है तिनका तिनका जोड़ कर बनाये घर कैसे शहरों में जाकर बस गये और भरे पूरे ओसारे आँगन शमशान खाली होते देख विस्थापन का दर्द मेरी लेखनी में आंसू बन बहता है मुझे वो स्त्री सबसे अधिक खुबसूरत लगी जिसके कपाल में स्थित कुमकुम श्रम की धार के साथ नदी बन जाता है.--सरिता सैल