मैं हैरान हूँमैं इंसान हूँक्या होती है इंसानियत जानने को बेताब हूँढूँढता हूँ इंसानियत मिलने को बेकरार हूँ।मैं हैरान हूँमैं इंसान हूँमिली नहीं कहीं इंसानियत मैं हैरान हूँजो मिल जाए कहीं इंसानियत नतमस्तक होने को तैयार हूँ।मैं हैरान हूँमैं इंसान हूँइंसान के इस शहर में कभी देखी नहीं इंसानियतभावशून्य इस दुनिया ने कभी समझी नहीं इंसानियत।मैं हैरान हूँमैं इंसान हूँयहां भावनाओं की कोई कदर नहीं भावहीन हर इंसान हैलगता है जैसे इंसानों के इस शहर में बसा पूरा कब्रिस्तान है।मैं हैरान हूँमैं इंसान हूँ।
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