अमावस्या की भयानक घनघोर अन्धेरी काली रात अन्धकार इतना गहरा कि हाथ को हाथ सुझाई ना दे। आसमान में छाये हुए काले-काले घने बादल वातावरण को भारी बनाने के साथ ही अमावस की रात को और ज्यादा अन्धकारमय और भयावह बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। बहुत अधिक संख्या में यत्र-तत्र सर्वत्र फैले हुए वृक्षों के समूह उन पेड़-पौधों में रहने वाले झींगुर और अन्य कीड़े-मकोड़े अपने स्वभाव के अनुसार तरह-तरह की आवाजें निकालते हुए अपने आस-पास के वातावरण की नीरवता को भंग करने के कार्य में पूरी तल्लीनता से लगे हुए थे। दूर कहीं सियार एवम् लकड़बग्घों के रह-रहकर चिल्लाने की लगातार आने वाली आवाजें उस स्थान का वन प्रदेश होने के पक्के प्रमाण प्रस्तुत कर रहे थे।
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