तेजिंदर वालिया जी अंबाला के रहने वाले हैं और अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ जितना जुड़े हैं उसका कोई मुकाबला नहीं है। वह बड़े संवेदनशील और महान प्रतिभा के मालिक हैं । जिंदगी की सच्चाईयों से संतुलन बनाते हुए उन्होंने अपनी सारी जिंदगी सामाजिक न्याय तथा शिक्षा के कार्यों में समर्पित कर दी है। श्री तेजेंद्र वालिया जी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस कई राज्यों के गवर्नर कई राज्यों के मंत्रियों से कई अमूल्य सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। 1982 ईसवी में उन्होंने गणतंत्र दिवस की परेड में एनसीसी की टुकड़ी की अगुवाई करने के लिए बेस्ट कैडेट का अवार्ड राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी से प्राप्त किया । अंतरराष्ट्रीय संस्था (राहत) के द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया | यूनिवर्सल ब्लड डोनर सोसायटी द्वारा उन्हें रोल ऑफ ऑनर ख़िताब दिया गया। सामाजिक क्षेत्र में किए गए अनगिनत कार्यों के लिए राष्ट्रीय संस्था “आसरा” ने उन्हें सम्मानित किया । उन्होंने अपने पत्रकारिता के जज्बे को पूरी शान से निभाया | इसी वजह से हर कोई व्यक्ति उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता को सजदा करता है । ज्यादातर लेखकों ने 1857 के विद्रोह का इतिहास भारत के संदर्भ में लिखा है और आमतौर पर लेखकों ने मेरठ छावनी को 10 मई 1857 को सेना के सिपाहियों का विद्रोह का केंद्र माना है । इस पुस्तक में तेजेंद्र वालिया जी ने तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि इस क्रांति का अंबाला में बिगुल मेरठ से कई घंटे पहले 10 मई 1857 को बज चुका था। तेजेंद्र वालिया ने तथ्यों के आधार पर यह काम किया है । उन्होंने सभी दस्तावेजों को कालक्रम में पिरोने का सराहनीय काम किया है ।
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