इश्क़ में हवाओ को अचानक बहते देखा हैं नींदों को रातभर जागते देखा हैं आसमान को अजनबी ख्वाहिशों में नापते देखा हैं मगर जब खुद इस अहसास को महसूस किया तो खुदको किसी ख़ास के लिए आसुओं में लपेटते देखा हैं। इस अहसासों में डूबकर खुदके ख़्वाबों को शायरी में लिखते देखा हैं। ये किताब नहीं मगर मेरे अंदर की चल रही अजनबी अहसासों का संग्रह हैं जिसे मैं शब्द तो दे सकती हूँ मगर अंजाम कभी नहीं।
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