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About The Book

वरिष्ठ साहित्यकार शौकत हुसैन जी का कहानी संग्रह. कहानी-अंश... अंधेरा अपनी शिद्दत से पसरा हुआ है। वे कुल जमा आठ व्यक्ति हैं। चुस्त-दुरुस्त। उनमें से एक व्यक्ति आगे-आगे चल रहा है। आगे चलने वाला ऊँचे कद का क़द्दावर पुरुष है। गर्दन झुकी हुई है। कंधे झुके हुए हैं। कमर में बोझल ख़म हैं। हाथ पीठ पर बंधे हुए हैं। मुँह पर मुस्का चढ़ा हुआ है। नासिका मुस्के के घेरे में होने से उसे श्वास-अवरोध हो रहा है। लंबी-लंबी दमघोंट साँसों की घरघराहट के साथ वह क़द्दावर व्यक्ति उस दुर्गम पथरीली पगडंडी पर बढ़ता चला जा रहा है। उस व्यक्ति की आँखें नींद तथा थकान से चढ़ी हुईं हैं... गोया एक लंबे अरसे से उन्हें झपकने का भी अवसर न मिल पाया हो। वह पूरी कोशिश से उन चढ़ी हुईं आँखों को झपका रहा है। सहसा एक पत्थर से उसका दायाँ पैर टकराया। वह सँभल नहीं पाया। पहाड़ी के ढलाव पर वह लुढ़कता चला गया। पीछे आ रहे चुस्त-दुरुस्त सात जवानों का समूह चौंक पड़ा। शंका से उनके हृदय धड़क उठे। वे ढलान की तरफ लपके। चुनौती देती हुई एक कड़क आवाज गूंजी “पकड़ो भागने न पाए...हरामी को पकड़ लो...सुअर की औलाद जिं़दा न रहने पाए...”
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