अंशु श्री सक्सेना एक उभरती हुई कवयित्री व लेखिका हैं। वाराणसी के प्रतिष्ठित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में स्नातकोत्तर लेखिका को हिन्दी साहित्य के प्रति रुझान लेखन के क्षेत्र में ले आया। लेखिका ने वर्षों तक अध्यापन कार्य किया है तथा वर्तमान में वे हैदराबाद में रहती हैं। इन्होनें वर्षों तक विभिन्न संगठनों के साथ जुड़ कर सामाजिक कार्य करने में भी रुचि है। इन्होनें प्रौढ़ शिक्षा बालिका सशक्तिकरण तथा महिला उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। वर्तमान में वे “कलामंथन” साहित्यिक समूह के साथ जुड़ कर साहित्यिक व सामाजिक उत्थान हेतु कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही वे अन्य साहित्यिक समूहों के साथ जुड़ कर पत्रिका संपादन का कार्य भी कर रही हैं। इन्हें भारत सरकार के सहयोग से आयोजित “कलांतर कला महोत्सव” में दो श्रेणियों में पुरस्कार भी मिला है। इनकी रचनाएँ कई साझा संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। लेखिका द्वारा लिखी गई कहानियाँ नारी मन के इर्द गिर्द घूमती उसके भावों तथा उसके भीतर छुपी परतों को उकेरती हैं। वहीं लेखिका द्वारा लिखी गई कविताएँ सहज सरल भाषा में पाठक के दिलों को छूती हैं।
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