भारत का विभाजन पिछली शताब्दी की सबसे भयंकर घटना है। हम सब भारतवासियों के लिए यह और भी अधिक दुखदायी बात है कि जो मजहब बाहर से चलकर यहां आया उसी के कुछ नेताओं ने भारत विभाजन कर भारत का भू-भाग संप्रदाय के आधार पर छीन लिया। बस इसी प्रकार के तथ्यों को उद्घाटित करती यह पुस्तक समकालीन इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण शोधपरक दस्तावेज है।<br>'भारत को समझो' अभियान के अंतर्गत ऐसे शोधपरक और तथ्यपरक साहित्य का सृजन करना लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य का एक अत्यंत सराहनीय प्रयास है । 17 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जनपद के महावड़ नामक ग्राम में जन्मे डॉ आर्य की अब तक 71 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अपने 'मिशन' और 'विजन' को 'भारत को समझो' अभियान के अंतर्गत जन जन तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प डॉ आर्य इतिहास की गंगा के सफाई अभियान में जी जान से लगे हुए हैं। इस पुस्तक के माध्यम से भी उन्होंने समकालीन इतिहास के कई अनछुए पृष्ठों को उजागर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।<br>श्री आर्य की लेखन शैली बहुत गंभीर है। अपनी इसी विशिष्ट शैली के माध्यम से उन्होंने भारत के सुविख्यात इतिहासकारों में अपना स्थान बनाया है। वह एक जीवन्त और सनातन विश्व गुरु भारत के उपासक हैं और इसी के लिए संकल्पित हैं। इतिहास की गंगा की शुद्धि के अभियान में लगे डॉ. आर्य की यह पुस्तक एक ऐसा ज्योति स्तंभ है जिसके आलोक में हम विभाजनकालीन भारत की परिस्थितियों का सम्यक अवलोकन करने में सफल हो पाएंगे। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अतीत से शिक्षा लेकर वर्तमान को संवारें और उज्ज्वल भविष्य की ओर आगे बढ़ें।
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