आनव रात्री के समय कुछ देर तक पेड़ों से भरे घने जंगल के बीचों- बीच स्तब्ध खड़ा था । किसी के पैरों की सरसराहट की आवाज़ सुनकर भयभीत आनव अपने सामने वाली झड़ियों को ताकने लगा। वो आवाज़ जिसे सुनने के पश्षात आनव के पैरों तले ज़मीन खिसक रही थी अंबर डोल रहा था तथा हवाओं के चलने की दिेशा परिवर्तित हो गयी थी उन्हीं झाड़ियों के पीछे से आयी थी। आनव अपने हाथ में एक मोटा सा डंडा पकड़े हुए खडा यह सोच रहा था कि जो भी झड़ियों के पीछे है जो वो मेरे सामने आये तो मैं उसे इसी डंडे की सहायता से अधमरा कर द्रंगा। उसने डंडा मारने को साधा ही था कि उसके सामने गेरुआ चोला पहने एक संत आ खड़ा हुआ। संत को देखते ही आनव के मुख पर प्रसनता के भाव उजागर हो उठे। उसे खुशी थी भयानक आवाज़ों से भरे उस जंगल में एक इंसान के होने की और जब वो इंसान कोई आम नहीं अपितु एक संत हो तो फ़िर भला आनव का दिल खुशी से क्यों न गदगदा उठता?
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.