अपने उपन्यास देवकी का बेटा में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है। लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान् पुरुषार्थी त्यागी कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है। 'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान् ऐतिहासिक पुरुष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट यथार्थ संगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।
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