DEVTAON KA MOUN !! (देवताओं का मौन !!)

About The Book

देवताओं का मौन एक आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई अद्वैत वेदांत के सजीव हृदय में उतरती एक दार्शनिक यात्रा है। आज हमारा आधुनिक अस्तित्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के तथ्य-मूल्य के भेद की विस्मृति पर टिका है। यह पुस्तक हमारे कुछ सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करती है जैसे: - यह आवास क्या है और यह निवासी जो उसमें वास करता है वह कौन है। - निवासी अपने अस्तित्व के लिए अपना रास्ता किस शब्द सोच और भावनाओं से तय कर सकता है। - आधुनिक ऋषि कौन हैं और हम स्वयं अपने रचनात्मक प्रयोग से वह ऋषि कैसे हो सकते हैं। - सत्य क्या है और यदि सत्य को सीखाया नहीं जा सकता तो इसे किस स्वरूप में प्रसारित किया जा सकता है। यदि वह अवर्णनीय अपरिभाष्य अकथनीय है; शब्दों से परे वर्णन से परे है तो हम कैसे उसे जाने हम किससे और कौनसे विज्ञान से उसके शरीर की तलाश करें। आधुनिक मानव स्थिति और इस आधुनिकता के तनाव से उत्पन्न होने वाली विकृति से निपटने में हमारी अक्षमता के चलते आध्यात्मिकता के हृदय को अनिष्ट और विनाश की ताकतों से कैसे सुरक्षित किया जा सकता है। यह आत्मकथात्मक विवेचन ऐसे कई सवालों पर प्रकाश डालता है।
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