“ढाई आख़र इश्क़ का” मात्र एक किताब नहीं है यह कईं भावनाओं एहसासों और यादों का एक चित्रण है | यह मेरी आपकी और हर एक की आत्मा में बसे प्रेम का बखान है | इसमें प्रेम के आरम्भ से प्रेम के उन्मूलन तक रास्ते का वर्णन है | भाषा को अत्यधिक क्लिष्ट होने से बचाने के प्रयास में और इसे आम जन के ह्रदय तक जाने लायक बनाने के लिए सरल शब्दों का चयन प्राथमिकता रही है | आज इस आधुनिक इन्टरनेट के समय में हो सकता है यह किताब थोड़ी बोरिंग हो लेकिन यह उतनी ही ईमानदार किताब है जितनी एक अभी जन्में हुए बच्चे का रोना और उसकी पाक-पवित्र हँसी | हर किसी के जीवन में छद्म फ़रेब और अन्याय होता है | प्रेम विश्व का एक मात्र एसा मार्ग है जिसमें छद्म को भी प्रेम का मुकुट माना जाता है | जब कभी व्यक्ति से कोई उसका अपना रूठ जाता है अथवा उसे बीच मार्ग में छोड़ जाता है तब उसे लगता है कि वह अकेला है | ऐसे ही अकेले व्यक्तियों की हमराही है यह किताब | कभी-कभी दर्द और तकलीफ में रहना भी बहुतो को आनंद देता है | यह स्वाभाविक है | आपको किसी की यादों में डूबे रहने में एक अजीब किस्म का मज़ा आने लगता है | कुछ अनभिज्ञ लोगो को लगता है कि समय के साथ सब ठीक हो जाता है लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि यह किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है | जो सच्चा प्रेम करता है वो न कभी यादों को जाने देता हैं और न ही अपने गुज़रे एहसासों को | जब आप अपने माँ-बाप से सच्चा प्रेम करते हो तो उन्हें छद्म नहीं दे सकते फिर आपको किसी अन्य के साथ ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है |प्रेम प्रेम होता है जो इसे दूषित करता है वह न ज़मीन का रहता है और न ही आसमान का | इन्हीं शब्दों के रेशमी लहजे से लिखी गयी किताब है | यह आप सबकी किताब है |“ढाई आख़र इश्क़ का”
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