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About The Book
Description
Author
रुचि बहुगुणा की काव्य चेतना स्थापित काव्य ‘वैभव की पीड़ा’ के आनंद से कितनी विभोर हुई यह अनुभूति भी एक नया काव्य स्फुरण पैदा करने की भूमिका निभायेगी। उनमें जितनी कविता लिखने की उत्सुकता है उतनी ही वैश्विक कविता के सौन्दर्य को जानने की उत्कटता भी प्रकट होती है। एक नयी आशा बंधती है कि अभी यह शुरुआत जरूर कोई अन्यरुप भी ग्रहण करेगी। कविता लिखना इसीलिए एक खतरनाक उद्यम माना गया है कि उसमें ख़ुद को भी परिवर्तित करना होता है। इसीलिए एक कविता से दूसरी कविता का भाषा वैभव भिन्न हो जाता है थीम बदल जाती है। कविता एक संकीर्तन होने से अभिव्यत्तिफ़ को बचाए रखती है। -लीलाधर जगूड़ी