मार्मिक किशोर कहानियों का यह संग्रह तुम्हारे हाथों में है। इस संग्रह की कहानियाँ शहरी और क़स्बाई जीवन के संधि की कहानियाँ हैंμजहाँ गाँव की ख़ुशबू मन्द नहीं हुई है और शहर की चकाचौंध अभी पूरी तरह हावी नहीं हो पाई है। जहाँ आपसी मेल-जोल है मन-मुटाव है आँसू और सिसकियाँ हैं हँसी और चुहल है बीती यादों की छुअन है...पर इन सबके नीचे संवेदना और करुणा की बहती हुई ऐसी ख़ामोश नदी है जो मन को कहीं छूती है तो कहीं गीला कर देती है। इन कहानियों के चरित्र आपको आस-पास के जीते-जागते साँस लेते दिखाई दे सकते हैं बहुत कुछ अपने जैसे कहीं थोड़े-थोड़े अजनबी भी। यहाँ तक कि किन्नर समाज के वे लोग भी इसमें शामिल हैं जिनके भीतर का संवेदनात्मक तरल अभी तक भली-भाँति जाँच-परख से दूर है। पर ये हमारे भीतर के एहसास को कुरेदते हुए ज़रूर लगेंगे...मन को बारिश के मौसम की सर्द हवा-सा भारी और गरमी की उमस-सा बोझिल बना देने वाले!
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