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About The Book
Description
Author
आज के समाज में फैली धनलोलुपता भौतिकता भ्रष्टाचार बलात्कार फैलती बीमारियां वहशी होते मानवों की ओर ध्यानाकर्षित कर रही हैं कविताएं। कहीं पति-पत्नी के मध्य नोक-झोंक है कहीं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की संजीव-निर्जीव वस्तुओं का महत्व बताया गया है कविताओं में जैसे- पृथ्वी जल महिला बादल बरसात विभिन्न मौसम पशु पक्षी। वहीं गणपति वंदन अखिल ब्रह्माण्ड के लिए प्रार्थना कुछ खुद के बारे में तथा मां का वन्दन भी कविताओं में है।