प्रस्तुत पुस्तक धर्मानुबन्धनम् निबन्ध संग्रह का मुख्य उद्देश्य युवा वर्ग को धर्म से जोड़ना है।विगत कुछ वर्षों में युवा वर्ग बहुत तेजी से धर्म से विमुख हुआ है।किसी भी राष्ट्र का उत्थान एवं पतन उस राष्ट्र की युवा ऊर्जा पर निर्भर करता है।धर्म से विमुख युवा वर्ग की ऊर्जा अधोमुखी होती है।आज का युवा दिग्भ्रमित है।उसके भ्रम के निवारण हेतु इस पुस्तक की रचना की गई है।पुस्तक के लेख गहन चिंतन के उपरान्त लिखे गए हैं।यह प्रयास किया गया है कि साधारण और सहज शब्दों में धर्म की गूढ़ बातों को समझाया जाए।चूंकि विधर्मियों द्वारा निरन्तर सनातन वैदिक धर्म पर विभिन्न वैचारिक आक्रमण हो रहे है जिसका प्रत्युत्तर देने हेतु धर्म विमुख युवा समर्थ नहीं हैं ऐसे में यह आवश्यक है कि सर्वजन ग्राह्य साहित्य सृजन किया जाय।धर्मानुबन्धनम् पुस्तक में विभिन्न आध्यात्मिक विषयों से सम्बन्धित लेख भ्रांतियों को दूर करने और युवा वर्ग को विधर्मियो के कुतर्कों का प्रत्युत्तर देने में सहायक हैं।
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