Dharmyudh

About The Book

'धर्मयुद्ध' कहानी संग्रह में संग्रहीत सोलह कहानियों के माध्यम से लेखक ने निजी अनुभवों और समाज में व्याप्त असमानताओं रूढ़िवादिता भ्रष्टाचारिता भेदभाव और कुरीतियों को उकेरा है जो उनके जीवन का भी कटु सत्य है। 'रक्तदान' कहानी ग्रामीण परिवेश लिए हुए रिश्तों में मनमुटाव नासमझी की वजह बयान करती है और सीख देती है कि किस तरह समझदारी से जीवन जिया जाये। कहानी 'धर्मयुद्ध' संदेश देती है कि समाज में व्याप्त कुछ असामाजिक नेता और उनके चमचों द्वारा जातिवाद धर्मवाद फैलाकर अपनी रोटी किस तरह सेंक कर समाज को दूषित किया जा रहा है। कहानी 'तारा' महिला उत्पीडन समाज के ताने-बाने और रूढ़वादिता को दर्शाते हुए बताती है कि आज के युग में भी महिला किस तरह असहाय महसूस करती है। अगली कहानी ' ममता' यह कहती है कि समाज सोचता कुछ है और मानता कुछ है। एक महिला को हमारा समाज पूजने की सिर्फ बातें करता है पर सम्मानित नहीं कर सकता। कहानी 'छोटू' बताती है कि बाल उत्पीड़न और माता-पिता की अनदेखी और लापरवाही किस तरह एक बालक का जीवन निगल जाती है। वहीं कहानी 'टॉस' बताती है कि समाज में व्याप्त छल-कपट और बेरोजगारी के मकड़जाल में फँसे आज के युवा किस तरह परेशान हैं। लेखक ने अन्य कहानियों के माध्यम से भी समाज का सच दिखाने की कोशिश की है। आशा है कि पाठकगण इसे पसंद करेंगे।
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