Dharmyudha
Hindi


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About The Book

About the Book जब-जब धरती पर अन्याय अनाचार और अत्याचार अपने चरम पर हुए हैं तब किसी न किसी अवतार ने आम जन को इनसे मुक्ति दिलाने के लिए जन्म लिया है; कभी राम और कभी कृष्ण के रूप में । वर्तमान समय को कलयुग कहा गया है जिसमें मानवीय भावनाए मृतप्राय हैं और हम सब मशीन बन कर रह गए हैं । कलयुग अर्थात मशीनी युग में येन-केन-प्रकारेण अपने मकसद को हासिल करने को ही धर्म मान लिया गया है; चाहे उसके लिए कितने भी अनैतिक कार्य करने पड़े । देश समाज और परिवार सभी जगह यही प्रवृति स्पष्ट नज़र आती है । जिसकी लाठी उसकी भैंस (Survival of the Fittest) के सिद्धांत को तर्कसंगत मान लिया गया है । अपवादस्वरुप वर्तमान युग में भी कुछ महानायक इस धरती पर अवतरित हुए हैं जिन्होंने अपने ज्ञान एवं साहस की बदौलत अन्याय और अनाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की और उन्हें व्यापक जन समर्थन भी मिला और जन जागरण की दिशा में उनके द्वारा किये गए प्रयास सफल हुए । प्रस्तुत उपन्यास की नायिका देवयानी को अट्ठारह वर्ष की उम्र से ही ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो किसी सामान्य लड़की की कल्पना से भी परे होती हैं । About the Author मेरठ के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में पवन जैन के पिता श्री जयन्ती प्रसाद जैन एक अति धार्मिक पुरुष थे लेकिन पवन जैन पर अपनी माता श्रीमती बिमला देवी का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है; जो धार्मिक मगर व्यावहारिक महिला थी। पवन जैन को बचपन से ही कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने में रुचि रही है और जब तक उनकी माता जीवित रहीं उन्होंने अपने जीवन की हर अच्छी-बुरी बात उनसे शेयर की । आज पवन जैन का पत्नी सहित दो पुत्र/पुत्रवधुओं और एक पुत्री सहित दो पौत्रों एवं दो पौत्रियों का भरा-पूरा परिवार है लेकिन उन्होंने उम्र को अपनी सोच पर कभी हावी नहीं होने दिया।
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