यह पुस्तक गोरखपुर के औरंगाबाद गाँव की समृद्ध माटी कला परंपरा और ग्रामीण सामाजिक संरचना का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। लेखक ने इस क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से शोध कर मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण से गाँव की सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर और लोक कलाओं का विश्लेषण किया है।यह अध्ययन न केवल शिल्पकारों की कहानियों और उनके संघर्षों को उजागर करता है बल्कि गोरखपुर की अनूठी सांस्कृतिक पहचान पर भी प्रकाश डालता है।पुस्तक का समस्त शोध लेखक द्वारा ही किया गया है जो इसे और प्रामाणिक बनाता है।ग्रामीण जीवन हस्तकला और मानवशास्त्र (एंथ्रोपोलॉजी) में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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