Dhuppal


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

धुप्पल यह एक निर्विवाद तथ्य है कि अपने कथा-कृतित्व में अनेकानेक व्यक्ति-चरित्रों को उकेरनेवाले साधनाशील रचनाकारों का अपना जीवन भी किसी महान कृति से कम महत्त्व नहीं रखता इसलिए उन विविध जीवनानुभवों को यथार्थतः कागज पर उतार लाना एक महत्त्वपूर्ण सृजनात्मक उपलब्धि ही माना जाएगा। इस नाते सुविख्यात कृती-व्यक्तित्व भगवतीचरण वर्मा की यह नवीनतम कथाकृति आत्मकथात्मक उपन्यासों में एक उल्लेखनीय स्थान की हकदार है। क़स्बे का एक बालक कैसे भगवतीचरण वर्मा के रूप में स्वनामधन्य हुआ इसे वह स्वयं भी नहीं जानता। जानता है तो सिर्फ उस जीवन-संघर्ष को जिसे वह धुप्पल करार देता है। आत्मकथा न लिखकर भगवती बाबू ने यह उपन्यास लिखा यह बात उनके रचनाशील मन की अनवरत सृजनात्मक सक्रियता की ही सूचक है। धुप्पल में जो गम्भीरता है वह भगवती बाबू के चुटीले भाषा-शिल्प के बावजूद अपनी तथ्यात्मकता का स्वाभाविक परिणाम है। लेखक के साथ-साथ इसमें एक युग मुखर हुआ है जिसके अपने अन्तर्विरोध अगर लेखकीय अन्तर्विरोध भी रहे तो उन्होंने उसके सृजन को ही धारदार बनाया। इसलिए धुप्पल सिर्फ ‘धुप्पल’ ही नहीं लेखकीय संघर्ष का सार्थक दस्तावेज़ भी है।
downArrow

Details