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About The Book
Description
Author
ओशो स्वयं तूफानों को पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकर उन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। यह अक्षर उन्हीं के नाम जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है अर्पित करती हूं-<br>'कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो<br>मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा।<br>-अमृता प्रीतम