This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.आज मनुष्य के सामने दो ही विकल्प हैं : या तो एक सामूहिक आत्मघात या फिर चैतन्य में एक गुणात्मक छलांग। यह आनंदपूर्ण हैं कि ऐसे संक्रमण-काल में विश्वभर में लाखों लोग ओशो की जीवनदृष्टि से आंदोलित हो रहे हैं और एक नए मनुष्य को एक नए विश्व को जन्म देने के लिए तैयार हो गये हैं।<br>ओशो के एक क्रांतिकारी संदेश का स्रोत सत्य का उनका अपना अनुभव है। यह संदेश उन पंडितों की तोता-रटंत नहीं है जो अज्ञात के रहस्यों में प्रवेश करने के भय से शास्त्रों के वचन ओढ़ लेते हैं। ओशो के शब्द उनके अपने जिए हुए अनुभव से ओतप्रोत हैं। ये आग्नेय वचन एक जीवंत बुद्ध के सत्य से सिक्त हैं। यदि आप खुले हृदय से इन्हें पढ़ें तो ये वचन आपको आलोकित कर सकते हैं।<br>सावधान-इस पुस्तक को खोलने वाला व्यक्ति शायद इसे बंद करते समय वही न रहे जो वह खोलते समय था। याद रखों सत्य की अग्नि इस क्षण के पार जीवन का कोई वचन नहीं देतौ ।सद्गुरु मिले तो पाइये भक्ति मुक्ति भंडार।<br>और दादू कहते हैं भक्ति पा ली तो मुक्ति पा ली। भक्त के लिए प्रेमी के लिए मुक्ति की कोई आकांक्षा ही नहीं है। वह कहता है प्रेम मिल गया परमात्मा का। बरस गया उसका मेघ ऊपर। हो गये उसके स्नेह से सिक्त-पा लिया सब-भक्ति भंडार। भक्त मोक्ष की आकांक्षा नहीं करता।<br>दादू सहजै देखिये साहिब का दीदार।<br>दादू कहते हैं कोई मुक्ति की जरूरत नहीं। बस इतना काफी है कि तेरे - दर्शन हो जाएं। आंखें तुझे देख लें बस! हृदय तुझे पहचान ले बस! चरण तेरे नृत्य से भर जाएं बस!<br>तुम अपने भीतर भी उसी को देखते हो बाहर भी उसी को देखते हो। मित्र में भी वही शत्रु में भी वही। जीवन में भी वही मृत्यु में भी वही। जब वही द्य बचा तो किसको मुक्त होना है और किससे मुक्त होना है? सारे बंधन गिर गये। फिर तो बंधन भी मुक्ति है। फिर तो बंधन में भी मोक्ष है। अगर द्य परमात्मा ही बांध रहा है तो जल्दी भी क्या है छूटने की? अगर वही बंधन बना है तो धन्य भाग!
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.