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About The Book
Description
Author
ध्यान तो शुद्ध रूप से एक समझ है। यह प्रश्न केवल शांत होकर बैठ जाने का नहीं है न यह प्रश्न मंत्रजाप करने का है। यह प्रश्न तो मन की सूक्ष्म कार्यविधि को समझने का है। यदि तुम मन की कार्यविधि को एक बार समझ गये तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़ी जागरुकता या एक होश का उदय होता है जिसका मन से कोई सम्बन्ध नहीं। इस जागरूकता का उदय तुम्हारे अस्तित्व से तुम्हारी आत्मा और चेतनता से होता है।