This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.प्रेम के अतिरिक्त कोई श्रवण नहीं है।<br/>तो यारी पहले बननी चाहिए। प्रेम पहले बनना चाहिए तब ज्ञान। प्रेम के पीछे आता है ज्ञान। और जिसने सोचा कि ज्ञान के पीछे प्रेम आएगा वह भूल में पड़ा। उसने बैल पीछे बांध दिए गाड़ी के। यह गाड़ी अब कहीं जाएगी नहीं। प्रेम पहले आता है। भाव पहले आता है। हृदय पहले आता है¬- -तब सिर। जिसने सोचा कि पहले सिर फिर हृदय को ले आएंगे वह कभी भी नहीं ला पाएगा। क्योंकि सिर तो हृदय के खिलाफ है और हृदय को कभी उमगने न देगा। सिर तो संदेह है। और हृदय है आस्था श्ऱद्धा। तो सिर तो हजार उपाय करेगा संदेह खड़े करने के। सिर में तो संदेह ही लगता है। सिर से कभी श्रद्धा नहीं होती। श्रद्धा हृदय से होती है। सरलचितता चाहिए। विनम्रता चाहिए। अकड़ का अभाव चाहिए। प्रेम में पड़ने की हिम्मत चाहिए।ध्यान तो शुद्ध रूप से एक समझ है। यह प्रश्न केवल शांत होकर बैठ जाने का नहीं है न यह प्रश्न मंत्रजाप करने का है। यह प्रश्न तो मन की सूक्ष्म कार्यविधि को समझने का है। यदि तुम मन की कार्यविधि को एक बार समझ गये तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़ी जागरुकता या एक होश का उदय होता है जिसका मन से कोई सम्बन्ध नहीं। इस जागरूकता का उदय तुम्हारे अस्तित्व से तुम्हारी आत्मा और चेतनता से होता है। About the Author ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
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