Dil Dhoondhta Hai

About The Book

इन कहानियों के सभी पात्र आपको कभी मासूम तो कभी जिद्दी लगेंगे। कभी ईमानदार तो कभी अड़ियल और कभी सच बोलते हुए बेबाक। हर किरदार ज़िंदगी से सवाल पूछते हुए आगे बढ़ते हुए कुछ अधूरे क़िस्सों को तो कभी ख़ुद को पूरा करने की कोशिश करता है। जैसे कॉलेज की मोहब्बत वो पहला एहसास जब आपको महसूस होता है कि आप अपनी आशिक़ी की ज़िद में किस हद तक गुज़र सकते हैं। या जीत वो पहला एहसास जब आपको महसूस होता है कि आप अपनी सरल मामूली ज़िंदगी में किराए के घर में कितने ख़ुश हैं। या स्वतंत्र होने का पहला एहसास जब आपको महसूस होता है कि भागते मन की लंगोट पकड़ना नामुमकिन है इसलिए जीवन को बस छोड़ देना चाहिए और फिर देखो मन कितना आज़ाद है। ये क़िस्से मानो ज़हन में कोई इंद्रधनुष का जाल बनाते हुए मन में बंधी जीवन के सुनहरे सच की गठानों को धीरे-धीरे खोलते हैं। ये लघु कहानी संग्रह पढ़ते हुए आपको ज़रूर अपने जीवन के वो अधूरे गुदगुदाते-बुदबुदाते दिल के किसी कोने में दबे मानवीय क़िस्से याद आएँगे जिनकी वजह से आपका जीवन अपूर्ण होते हुए भी अनोखे ढंग से सम्पूर्ण है।
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