Dil Ek Sada Kaghaz

About The Book

दिल एक सादा कागज एक तरह आधा गाँव से बिलकुल अलग है | यह आधा गाँव टोपी शुक्ला हिम्मत जौनपुरी और ओस की बूँद के सिलसिले की कड़ी है भी और नहीं भी है | दिल एक सादा काग़ज ‘जैदी विला’ के उस भूत की कहानी है जिसके कई नाम थे-रफ्फन सय्यद ali रफअत जैदी बागी आजमी | और यह जैदी विला ढाका और बम्बई के त्रिकोण की कहानी है | यह कहानी शुरू हुई तो ढाका हिंदुस्तान में था | फिर वह पूरबी पाकिस्तान में होने लगा | और कहानी के ख़त्म होते-होते बांग्लादेश में हो गया | एक तरह से यह ढाका की इस यात्रा की कहानी भिया है हालाँकि ढाका इस कहानी में कहीं नहीं है | पहले वहां से ख़त आना शुरू होते हैं और फिर रिफ्यूजी बस | दिल एक सादा कागज बम्बई के उस फ़िल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूलभुलैया आदमी को भटका देती है | और वह कहीं का नहीं रह जाता | नए अंदाज और नए तेवर के साथ लिखा गया एक बिलकुल अलग उपन्यास |
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