प्रस्तुत काव्य-संग्रह “दिल से” में सरिता जी (लेखिका) ने मानव जीवन के इन्हीं अनुभवों और भावों को शब्दों में व्यक्त करने की एक अद्भुत और सफल कोशिश करी है। सरिता जी की रचनाओं में एक ओर जहां स्त्री-पुरुष के प्रेम का अमूर्त स्वरूप देखने को मिलता है तो वहीं लेखिका ने अपने अनुभवों के आधार पर पुरुष-मात्र के स्वभाव और प्रवृति नारी-सुलभ प्रकृति बाल-सुलभ उच्छृंखलता और राजनीतिक यथार्थ को भी समझने का प्रयास किया है। एक स्त्री होने के कारण लेखिका द्वारा स्त्री-सुलभ व्यवहारों और बाल-सुलभ उच्छृखलताओं का चित्रण स्वाभाविक है लेकिन अपनी रचनाओं में लेखिका ने पुरुष-सुलभ जटिल व्यवहारों और मानसिकता का जो स्वाभाविक चित्रण किया है वह सचमुच तारीफ के काबिल है। साथ ही इस काव्य-संग्रह का सबसे सबल पक्ष है कि लेखिका ने इसके संग्रह में तकरीबन समाज के हर वर्ग बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नारी और पुरुष प्रेम और सुख-दुख स्त्री और पुरुष सबों का ध्यान रखा है। साथ ही लेखिका द्वारा लिखित प्रेम कहानी “एक चुटकी सिंदूर” का पुस्तक में संयोजन ‘सोने-पे-सुहागा’ जैसा है। लेखिका के वास्तविक अनुभवों पर आधारित होने और सरल शब्दों के उचित प्रयोग के कारण रचना काफी रोचक और पठनीय बन पड़ी है। कहना न होगा कि लेखिका ने प्रस्तुत पुस्तक को सचमुच “दिल-से” लिखने की कोशिश की है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.