मेरे जीवन में जब मैंने प्रथम काव्य पाठ की शुरूआत की तो वह सबसे पहला मुक्तक ही था। अग्नि पुराण में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि ‘मुक्तकं श्लोकएवेकश्चमत्कार क्षम: सताम' अर्थात चमत्कार की क्षमता रखने वाले एक ही श्लोक को मुक्तक कहते हैं। यह चमत्कार मैंने प्रत्यक्ष रुप में मंच पर अक्सर देखा भी है। जब मैं मुक्तकों से अपने काव्य पाठ का आरंभ करता हूँ तो प्रत्येक मुक्तक अपने आप में संपूर्ण कविता का आनंद दे रहा होता है। कई स्थानों पर तो ऐसा प्रतीत भी हुआ कि मुक्तकों के बाद गीत की आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई सिर्फ़ औपचारिकता भर के लिए गीत सुनाना पड़ा। आरंभ से अब तक के सभी मुक्तक इस संकलन में संकलित हैं। अपने तमाम श्रोताओं पाठकों और प्रशंसकों से अपेक्षा है कि मेरे अन्य संकलनों की तरह इस मुक्तक संग्रह ‘दिया हूँ प्यार का.' को भी अपना भरपूर स्नेह दें।
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