This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.‘अरी मैं तो नाम के रंग छकी’ जगजीवन साहब के वचनों पर ओशो के दस अमृत प्रवचन। ओशो की अस्तित्वगत् झलक की तीव्र अनुभूति भी इस संकलन से मिलेगी। निराकार अस्तित्व की साकार प्रतिमा दर्शन की अनुभूति भी आपको होगी। जो सहज ही आपको द्रष्टा भाव साक्षी भाव और यथार्थता में उतार देगी।तुम अगर अंधेरे होते तो तुम्हारी मुक्ति का कोई उपाय नहीं था। अंधेरे की कोई मुक्ति नहीं हो सकती। क्यों? अंधेरा है ही नहीं। तुम्हारी मुक्ति हो सकती है क्योंकि तुम अंधेरा नहीं हो। बिन बाती बिन तेल तुम जल रहे हो। तुम्हारे भीतर एक दीया है जो सदा से जल रहा है। सदा जलता रहेगा। कितना ही ढंक जाए जैसे बादल आ जाते हैं आकाश में सूरज ढंक जाता है। इससे कोई सूरज मिटता नहीं। जरा बादलों की परतों को हटाओ सूरज फिर प्रकट हो जाता है। थोड़ी सी हवाएं चाहिए बुद्धपुरुषों की कि तुम्हारे बादल छितर-बितर हो जाएं और तुम्हें स्मरण आ जाए कि तुम कौन हो ! आत्मबोध--कोई आत्मा को पैदा करना नहीं है सिर्फ भूली आत्मा की पुनः स्मृति है सुरति है।<br>- ओशो
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