*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹288
₹350
17% OFF
Hardback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
मोनिका तभी कलम चलाती हैं जब कोई घटना या पात्र उन्हें बेचैनी की सीमा तक परेशान कर देता है। उनके लिए कहानी महज शब्दों की नुमाइश या आतिशबाजी नहीं बल्कि सामाजिक सरोकारों का यथार्थ साक्षात्कार होती है। स्त्री-पुरुष के आपसी अंतर्संबंधों की बारीकियाँ एवं विक्षिप्तता उनका निपट अकेलापन उससे पनपनेवाली मानसिक विकृतियाँ उन्हें इस स्थिति तक पहुँचाने वाला सामाजिक तथा व्यवस्था का ढाँचा धार्मिक असहिष्णुता कट्टरवादी भूमिका मूलतत्त्ववाद तथा उनके आनुषंगिक खतरनाक विघटनकारी तत्त्व धर्म और श्रद्धा का स्वरूप प्रत्यक्ष जिंदगी जीने के लिए उनकी प्रासंगिकता एवं उपादेयता कला और कलाकार की प्रतिबद्धता आदि अन्यान्य जीवन मूल्यों की कशमकश का सूक्ष्म बेबाक वस्तुनिष्ठ तथा निष्पक्ष चित्रण उनकी कहानियों में पाया जाता है। मोनिका की कहानियाँ पाठकों के दिमाग को झकझोरती हैं और उन्हें अंतर्मुख भी बना देती हैं। उनकी कहानियाँ समाधान पेश करने के बजाय प्रश्न उपस्थित करती हैं तथा इनसान की मजबूरी असहायता एवं निर्णयहीनता की वजह से तबाही के कगार की सीमा तक पहुँचे हालातों से पाठकों को रूबरू कराती हैं। किसी भी समस्या की ओर तटस्थता से देखते हुए उसके विभिन्न पहलुओं को परत-दर-परत उजागर करती हैं। मोनिका की कहानियाँ इसी मायने में किसी भी अन्य भाषा की समसामयिक कहानियों से अलग हटकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाती हैं।.