मेरी पुस्तक डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह मेरा दूसरा काव्य संग्रह है। इस संग्रह की अधिकतर कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित है। मेरी कविताओं के कैनवास पर समाज के सभी रंग बोलते है। समय और समाजिक समकालीन विषयों से संवाद करती मेरी कविताओं में समीकरण है जोकि समाज का प्रतिबिंब है। मेरा काव्य संग्रह जहाँ एक ओर बचपन की यादें समेटे हुए हैं तो वही दूसरी ओर इसमें श्रृंगार का वचन भी है।अगर देखे तो मेरी कुछ रचनाएँ - कूड़े वाला आदमी लेबर चौराहा समाज के नीचे तबके के आदमी के जीवन को परिभाषित करती है । भारतीय संस्कृति का पुनः नवजागरण करती मेरी कुछ रचनाएँ- ईश्वर कभी सोता नहीं है आस्था का कुंभ से हमारी संस्कृति की महक सी आती है। मेरी कविता जिंदगी एक सींख बच्चों से लेकर बूढ़ो तक में नवजीवन का संचार करती है। डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह आपके हाथों तक पहुंचाने का सारा श्रेय मैं अपने माता-पिता और मेरी हृदयस्पर्शी धर्मपत्नी एवं लेखिका श्रीमती सविता को प्रदान करता हूं और इनके सहयोग के लिए मैं इनका सहृदय आभारी हूँ ।अन्त में दो शब्द लिखते हुएं- मैं अपनी कविता कोरोनावायरस: एक वैश्विक संक्रमण के माध्यम से इस कोरोना महामारी मे मरे समस्त लोगों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मैं साहित्नुयरागी प्रकाशक *Authors Tree Publishing* की कृपा एवं उदारता का भी आभारी हूँ।
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