भारत रत्न डाक्टर बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के जीवन संघर्षों को अक्षरों में बांधना कोई आसान कार्य नहीं ।उन्होंने अपने जीवन में जिन बाधाओं और विपदाओं को हँसते हँसते पार किया और दुनिया को यह दिखा दिया कि संसार की कोई भी बाधा उन्हे उनकी मंजिल को पाने से नहीं रोक सकती है । हमारा हिन्दू समाज अपने ही समाज के एक बहुत बड़े हिस्से को शिक्षा की सुविधा से विमुख कर के ही नहीं रखा था बल्कि उनकी उन्नति के सारे रास्ते भी बंद करके रखे थे उनके गाँव में रहने पर भी प्रतिबंध लगा रखा था । यहाँ तक कि जब वे गाँव के अंदर प्रवेश करते थे तो अपने पैरों के पद चिन्हों को झाड़ू से मिटाते हुए चलते थेवे इनके द्या पर जीने के बाध्य थे क्योकि उन्हे संपति रखने का अधिकार इन्हों ने दिया ही नहीं था । बेबशी का जीवन जीने के लिए बाध्य हैं आज भी ये लोग बिना बिजली पानी के रहने के लिए बाध्य हैं । डाक्टर बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने लोगों के अंदर चेतना जगाई । पानी से लेकर में मंदिर में प्रवेश के लिए संघर्ष किया । उन्होने बताया जिस मंदिर की बुनियाद से लेकर प्राण प्रतिस्ठा तक जी जान से लगकर उसे तैयार करते हो मंदिर का निर्माण होते ही ये लोग उस मंदिर के लिए अछूत हो जाते । मंदिर में भगवान की पूजा और दर्शन की बात करना तो बहुत दूर उन्हे उस गली से निकलना भी मुश्किल था। पाठशाला चिकित्शालय सामाजिक उपयोग की जगहों पर उन्हें जाने की मनाही थी । जलाशयों में जानवर तो पानी पी सकता था परंतु मनुष्य जिन जलाशयों को बनाता था वह पानी भी नहीं पी सकता था। बाबा साहब ने अपने दृण आत्म विश्वास और ज्ञान के बल पर सारे विश्व को बता दिया मानव-मानव सभी समान हैं।सभी को शिक्षा का अधिकाररोजगार करने का अधिकार होना चाहिए।
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