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About The Book
Description
Author
ये पुस्तक लगभग तीन दशकों का एक लंबा सफ़र है जिसमें दादा के कंधे पर बैठ कर खेत देखने से लेकर अपने बच्चे को कंधे पर बिठाकर चाँद दिखाने तक के अनुभव कविताओं के रूप में लिखे गए हैं। इन कविताओं में पिता की साइकल पर बैठकर स्कूल जाने का कौतुक है माता-पिता व घर के अन्य बुज़ुर्गों से सुनी कहानियों का सार है खेतों में जाकर तोड़े गए गन्ने की मिठास है सुबह तीन बजे बाग में जाकर बीने गए देसी आमों का रस है निष्पाप प्रेम की फुहार है गाँव से नगर और नगर से महानगर में पलायन का संघर्ष और पूरी तरह से नाउम्मीद हो चुके जीवन के दुबारा खड़े होने की दास्तान सब मिलेगा यहाँ पूरी ज़िन्दगी मिलेगी चंद कविताओं के रूप में।