मेरी लेखक के रूप में प्रथम पहचान.. मालिक की बात दुनिया के साथ.. का प्रकाशन 2010 में बनी.. द्वितीय प्रयास के रूप में दुनिया की बात मालिक के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है.. एक लंबे अंतराल और गहरी सोच के का प्रयास का परिणाम पुस्तक ने आकार लिया है.. परमात्मा की असीम उदारता के बिना विश्व वयापी शक्ति का वर्णन असंभव है.. मेरे कवि मन ने संसार की असारता में परिवर्तन रहित निर्दोष निराकार को गहनता से तलाश करने की कोशिश की है जिसके परिणामस्वरूप रचना लिखी गई है.. प्रथम पूज्य गुरुदेवजी स्वामी 1008 बृजानंद अवधूत ब्रह्म लीन एवं वर्तमान में स्वामी सत्यानंद जी अवधूत की मुझपर असीम उदारता रहीहै जिससे वैराग्य भाव प्रकाश में आये.
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