*****दुनिया लौट आएगी*****शिव कुशवाहा समकालीन हिंदी कविता के महत्वपूर्ण युवा हस्ताक्षर हैंI इनका पहला काव्य-संग्रह ‘तो सुनो’ प्रकाशित हो चूका है जिसकी चर्चा साहित्य-जगत में पर्याप्त हुई थीI इनका दूसरा काव्य-संग्रह ‘दुनिया लौट आएगी’ एक आस्वस्ति के साथ पाठकों के बीच उपस्थित हैI इस संग्रह की कविताएँ संभावनाओं के बचे रहने की तलाश करती हैंI कोरोना-काल ने लोगों के मन में यह भय पैदा कर दिया है कि दुनिया पुनः अपने मूल स्वरुप में नहीं लौट पाएगीI जबकि कवी शिव कुशवाहा का इस बात पर जोर है कि एक-न-एक दिन दुनिया अपनी धुरी पर लौट आएगी भले ही कुछ समय तक यह लोगों को परेशान क्यों न कर ले! इस कविताओं के साथ पाठक इस तरह से जुड़ते चले जाते हैं जैसे उन्हें उनका ही अनुभूत सत्य हो जो उनकी आँखों के सामने साक्षात् दिखाई पड़ रहा होI इस संग्रह की कविताएँ इतनी सहज और सरल है कि पाठकों को अनायास ही अपना बना लेती हैI
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