द्वार पर हैं गीत आये एक कोशिश है प्रेम के उन पलों को सँजोकर रखने की जिन्हें जीने के बाद ज़िन्दगी और भी ख़ूबसूरत लगने लगती है। एक प्रयास है उस जज़्बे को हृदय के धरातल पर उकेरने का जो ज़िन्दगी की मुश्किलों से संघर्ष करके जीतना चाहता है। मैं ऋणी हूँ मेरे गीतों का मेरी कविताओं का जिन्होंने मुश्किल समय में मुझे संबल प्रदान किया और पुनः ज़िन्दगी से संघर्ष करने की हिम्मत दी जिन्हें पाकर मैं ज़िन्दगी का अर्थ समझ पाया। जिन्होंने मुझे अपने हृदय से लगाकर मेरे सपनों को नई ज़िन्दगी प्रदान की। मैं सदैव आभारी रहूँगा उन सभी लोगों का जिन्होंने समय-समय पर मेरे सृजन को प्रोत्साहित किया सोशल मीडिया ई-मेल मैसेज एवं अन्य माध्यमों से मेरी रचनाओं को सराहा और अनेक अवसरों पर मेरे आत्मविश्वास को नई ऊर्जा प्रदान की। अन्त में मैं ये गीत संग्रह मुझे इस योग्य बनाने वाले पिता श्री सुरेश चन्द शर्मा और माँ श्रीमती तनूजा शर्मा को समर्पित करते हुए स्वयं को बेहद भाग्यशाली अनुभव कर रहा हूँ।
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