एहसासो का कारवां एक कोशिश है अपने हृदय की भावनाओं के समुन्दर से कु छ बूंदोों द्वारा जग को अभिसिक्त करने की अपने एहसासोों को अल्फाज देते हुए मन की बेचैनी को सबके साथ बाँटने की। एहसास तो हर मनुष्य का सरमाया होते हैैं। जीवन का सफर तय करते हुए हम अलग-अलग अनुभवोों से रूबरू होते हैैं। कु छ निजी तो कु छ आस पास की घटनाओं से मन उद्वेलित हो उठता है और रहसास शब्ददों के रूप मेें कागज पर उतर आते हैैं। वैसे निजी भी सिर््फ निजी कहाँ होते हैैं किसी न किसी किरदार मेें तो उनका अक्स होता ही है। मेरे इस कविता संग्रह मेें जिन्दगी के अलग अलग रंग उके रे गए हैैं। कहीीं तल्खियाँहैैं तो कहीीं कहकहे । कहीीं समाज मेें पुरुषोों द्वारा नारी पर नृशंस अत्याचार मन को बुरी तरह आहत कर जाता है तो कलम उठ जाती है। कोलकाता का अभया कांड इसका निर््मम साक्षी है। विकास के दीप्त सूर््य का तेज भी मलिन करने की कोशिश की जाती है। उसकी तपस्या भंग करने ‘संध्या’ को भेजा जाता है। फिर भी सूरज रोज निकलता है मैैं फिर आऊँगा कविता यही संदेश देती है इसी तरह मेरे ‘एहसासोों का कारवां’ आगे बढ़ता रहेगा।
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