Ek Aur Prem Katha Tatha Prem Ke Manovaigyanik Paks


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About The Book

आधुनिक युग में हर किसी को कोई ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है जो कि उसे समझे और उसे प्यार करे। हालांकि प्यार तो व्यक्ति के माता पिता भी उससे प्यार करते हैं पर यह प्रेम उस प्रेम से थोड़ा अलग होता है। परंतु आज तो केवल प्रेम की आड में छल ही दिखाई पड़ता है। लोग अपनी वासना को पूरा करने के लिए प्रेम का ढोंग करते हैं। इस पुस्तक के माध्यम से प्रेम की आड में चल रहे छल को वास्तविक प्रेम को(शास्वत प्रेम) प्रेम के अर्थ को तथा प्रेम के मनोवैज्ञानिक पक्ष को भी लिखा गया है। पुस्तक में लिखित कहानियों में हास्य रस का भी ध्यान रखा गया है।
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