Ek dard aisa bhi

About The Book

यह उपन्यास एक ऐसी महिला पर लिखा गया है जो अपने पूरे जीवन में लोगों को अपनों को समाज को खुशियाँ देती आयी है। वह महिला सदा स्वयं के चरित्र को नारी जाति की मर्यादा में रखते हुए सफर करती रही मगर समाज उसे एक चरित्रहीन और समाज में कलंक का नाम दिया। यह नाम एक औरत को किसने दिया... क्या पुरुष ने? नहीं यह आरोप औरत को औरत ने दिया क्या। एक औरत की औरत ही दुश्मन है? क्या औरत का दुश्मन पुरुष है। एक औरत एक दूसरी औरत पर आरोप लगाते हुए क्यों नहीं विचार करती कि आखिर वह भी औरत है। ''एक दर्द ऐसा'' भी नामक शीर्षक से आप चौंकिए नहीं... अगर आप अपने पुत्र को बार-बार नालायक कहेगे तो वह क्या करेगा। बस वह कहेगा हाँ हाँ मैं नालायक हूँ किसी व्यक्ति पर किसी चोरी का आरोप लगाकर कहोंगे अरे यह चोर है तो यही कहेगा हाँ हाँ मैं चोर हूँ उसी तरह एक औरत पर आरोप झूठा लागाओगे तो क्या करेगी... गुस्से में चिढमें नाराज़ होकर क्या कहेगी यही कि हाँ हाँ मैं चरित्रहीन हूँ। मगर ''एक दर्द एसा भी इसी शीर्षक से प्रकाशित उपन्यास में पात्र चाँदनी का क्या कसूर था! बस उसका सुन्दर होना कसूर था गरीब घर में पैदा होना...
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