Ek Deepak Bal Do Tum II मेरे जीवन का उद्देश्य कभी भी नहीं रहा कि मैं लेखन के क्षेत्र में जाऊँ परन्तु धीरे धीरे परिस्थितियों ने मुझे लिखने के लिए विवश कर दिया। मेरा जीवन समस्याओं से भरा हुआ था जब मैं अपनी कोई समस्या अपने मित्रों से साझा करती तो वह मुझे लिखने की प्रेरणा देते। वर्तमान युग सोशल मीडिया का युग है। मैने अपने कुछ मित्रों को लिखते हुए देखा वहीं से मेरी लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई। जैसे जैसे मैं लिखने लगी मुझे विभिन्न साहित्यिक समूहों से जोड़ा जाने लगा। एक समूह था जिसके एडमिन सत्यव्रत मिश्रा जी थे। समूह में रोज एक टॉपिक दिया जाता था जिस पर समूह के सभी सदस्य लिखते थे। एक दिन उन्होंने टॉपिक दिया एक दीपक बाल दो तुम मैने उस पर कविता लिखी और उसी कविता के नाम पर मैंने अपने तृतीय काव्य संग्रह का नाम एक दीपक बाल दो तुम रखा। यह काव्य संग्रह 62 कविताओं का संकलन है जिसमे लिखी गयी सभी कविताओं में वर्तमान समाज की घटनाएं विद्रूपता और उपलब्धियों के बारे में लिखा गया है चाहे वह दक्षिण भारत मे एक महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना हो या फिर केरल की एक हथिनी को खाने की सामग्री में बारूद भरकर खिलाने से उसकी हत्या की घटना हो या फिर वर्तमान सामाजिक राजनीतिक उपलब्धियां हों I इन सभी विषयों पर कविताएं मैने लिखी हैं। दीपक बाल दो तुम मेरे तृतीय काव्य संकलन है जिसकी लगभग सभी कविताएं ऊर्जा से भरी हुई हैं। - सम्पदा मिश्रा (कवयित्री)
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