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About The Book
Description
Author
उमेश पंकज एक ऐसे कवि हैं जिसके लेखन की शुरुआत अस्सी के दशक से हुई मगर पहला कविता संग्रह एक धरती मेरे अन्दर 2019 में आया। निरन्तर छपते रहे हैं। मैंने इनकी कविताओं को लहक में पढ़ा था। मगर कविता संग्रह और लेखन की शुरुआत के बीच का लम्बा अन्तराल जाहिर कर देता है कि उमेश जी के अन्दर कवि होने का शौक नहीं रहा है। यदि शौक होता तो बहुत पहले कवि हो जाते। कोलकाता में रहे तमाम संगठनों जनसंगठनों में काम किया। पत्रिका निकाली अखबारों से जुड़े रहे। एक्टिविज्म ही उनके कवि होने का स्रोत है। जीवन के साठ बसन्त पार इस कवि के पास शानदार कविताएँ हैं और कविता लिखने का सलीका पता है। भाषा के सन्दर्भ में इस कवि ने सभ्य और स्वीकृत काव्य भाषा के चालू मुहावरों से पृथक लोक भाषा का आश्रय लिया है। इनकी काव्य भाषा में शामिल नये शब्दोंं की व्यंजकता और उपयुक्तता शब्दोंं की अनजानी अर्थवत्ता का भी प्रबोध करा देती है। विस्थापन अवमूल्यन यन्त्रणा सांस्कृतिक अलगाव प्रकृति चित्र उपादान आत्मप्रक्षेपण आत्मविस्तार व आत्मसंघर्ष से युक्त उमेश पंकज की कवितायें मनुष्य के भीतरी और वाह्य दबावों के बीच निष्पक्ष संतुलन बनाती हैं। कवि के जीवन तथा मूल्यहीन होते आदर्शों के सापेक्ष जब पढ़ा जाये तो निश्चित तौर पर कवि के आयतन और घनत्व को महसूस किया जा सकता है। मैं चाहूँगा कि वो निरन्तर लिखते रहें और इस तरह की कविताएँ आगे भी पढ़ने को मिलती रहें। - उमाशंकर सिंह परमार