मैं आपको कहूं कि कोई कितना भी कमजोर हो एक कदम उठाने की सामर्थ्य सबमें है। हजार मील चलने की न हो हिमालय चढ़ने की न हो लेकिन एक कदम उठा लेने की सामर्थ्य सबके भीतर है। अगर हम थोड़ा सा साहस जुटाएं तो एक कदम निश्चित ही उठा सकते हैं।...एक कदम सबके लिए काफी है क्योंकि दो कदम कोई भी एक साथ नहीं उठा सकता है। एक ही कदम उठाने की सामर्थ्य जुटा लेने की बात है। और उतनी सामर्थ्य प्रत्येक में है जो जीवित है।ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: भारत और भारत के लोग अहिंसात्मक क्रांति का क्या अर्थ है? प्रेम संतति-नियमन जिज्ञासा.
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