यह सद्ग्रंथ - “एक फक्कड़ मसीहा ओशो” विनाश की ओर तीव्रता से अग्रसर हो रहे इस सुन्दर ग्रह पृथ्वीको बचाने एवं संवारने के लिए संवेदनशील प्रतिभाशालियों हृदयवान सृजनशील एवं अज्ञात के अभियान में निकलने वाले दुसासियों को सम्बोधित उद्बोधन प्रबोधित करुणापूरित तथा बोधवान अमृत वचनो की आत्मकथा है। यह ‘एक फक्कड़ मसीहा ओशो’ ग्रंथामाला का अंतिम ग्रंथ रत्न है जिसे श्रद्धेय स्वामी ज्ञानभेद जी ने अपनी विलक्षण संवेदना से सद्गुरु ओशो को जीते हुए सृजित करने का अनूठा सराहनीय प्रयास किया है। ओशो आत्मसृजन के गायक हैं समग्र क्रांति के उद्गाता हैं। उन्होंने जीवन की विविध महत्ताओं के शिखरों को एक साथ जिया है। उनका जीवन मृत्युगामीमानवता को सामूहिक आत्मघात से बचाने के करुणापूरित प्रयासों की हृदयस्पर्शी रोमांचक कथा है। वे समाज के अतिसुसंस्कृत नवनीत को आकर्षित करने की क्षमता रखनेवाले सुंदरतम रहस्यदर्शी हैं। जागृत चेतना के आलोक में प्रकाशित उनके विचारों की पताका उनके दिव्य आचरण के रूप में सदा आकाश छूती है। उनका अस्तित्व मात्र झूठी बुनियादों पर स्थापित सत्ता व्यवस्था को प्रकम्पित करने को पर्याप्त है। ओशो जीवन की पूर्णता ‘स्थिरांक बिंदु’ नहीं वरन विस्मयकारी सतत विकास गतिशीलता संशोधन परिष्कार उन्नयन की उत्सवमग्न उल्लासमय प्रवाहमान बोधधारा हैं ।
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