इस उपन्यास की प्रमुख पात्र एक काली लड़की है जो इसाई समुदाय से है और जब बांग्ला में पाकिस्तान के अत्याचार बढ़े तो वह उनकी शिकार हो गई लेकिन उस काली लड़की ने अपना सबकुछ गंवाकर भी उस समय साहस का परिचय दिया और पाकिस्तानी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया। वह सारी नारी जाति के लिए आदर्श बन गई|About the Authorताराशंकर वन्धोपाध्याय प्रसिद्ध बांग्ला साहित्यकार हैं। इन्हें गणदेवता के लिए 1966 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर बंधोपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1969 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आरोग्य निकेतन के लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया|