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About The Book
Description
Author
दुनिया के सभी बड़े शहरों के व्यक्तित्व में कई पहलू होते हैं और वे केवल उसी पहलू को प्रकट करते हैं जिन्हें एक दर्शक या यात्री देखना चाहता है। इक्कीसवीं सदी में यात्रा करने का अर्थ सिर्फ चेक-इन करना सेल्फीज पोस्ट करना या हैशटैग्स के साथ स्टेटस मैसेज लिखना नहीं है। आज इसका अर्थ है-उन स्थानों पर जाना जिनके बारे में आपने सिर्फ पढ़ा होता है फिल्मों में देखा होता है या सुना होता है; किसी लैंडमार्क (सीमा चिह्न) पर खड़े होकर कुछ असाधारण महसूस करना पुरानी यादों को ताजा करना और कुछ नई यादें बनाना।‘एक कदम हजार अफसाने’ सिर्फ स्मारकों और परिदृश्यों के बारे में एक यात्रा-वृत्तांत ही नहीं है। यह सिर्फ लंदन पेरिस और रोम जैसे प्रसिद्ध शहरों के बारे में नहीं है बल्कि अंग्रेजी ग्रामीण इलाके के किसी गाँव की सड़क पर अकेले टहलने के बारे में गंगा में एक शांत नौका-विहार और अनजान गंतव्यों तक की लंबी ट्रेन-यात्राओं के बारे में भी है। यह बार्सिलोना के एक कैफे में कॉफी की चुस्की लेने के साथ-साथ भारत के किसी दूर-दराज के भूले-बिसरे रेलवे स्टेशन पर कुल्हड़ में चाय का मजा लेने के बारे में भी है। पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दुनिया भर में और साथ ही अपनी मातृभूमि में यात्रा करते हुए सभी घटनाओं विचारों स्मृतियों संस्मरणों और भावनाओं का एक जटिल केलिडोस्कोप तैयार किया है जो अंततः शब्दों में क्रिस्टलीकृत होकर विभिन्न स्थानों का एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य देता है-ब्रिटेन कॉण्टिनेंटल यूरोप तुर्की मोरक्को और बेशक भारत के।