आज के समय में सब भाग रहे हैं कोई पैसे के लिए तो कोई सुकून के लिए; पर सब बाहर-बाहर भटक रहे हैं। मुझे बस इतना कहना है कि सारी दुनिया एक तरफ है परन्तु “स्वयं का एहसास” होना भी उतना ही आवश्यक है। जब हम स्वयं को समझ जाते हैं तो हम उलझते कम और सुलझते ज्यादा हैं।मैं “एक खोज स्वयं की भी” पुस्तक के माध्यम से आप तक यह संदेश पहुँचाना चाहती हूँ कि आप आध्यात्मिकता को समझें आप ईश्वर के साथ-साथ स्वयं को भी समझें। मुझे विश्वास है कि जो स्वयं के अंदर ईश्वर का आभास कर लेंगे वे स्वयं के लिए एक अलग ही परिभाषा रखेंगे। मेरी यह पहली पुस्तक है और मुझे विश्वास है कि आप सब इस पुस्तक को पढ़ने के बाद खूब सारा प्यार देंगे। - धन्यवाद!मैं लखीसराय जी.एन.एम. संस्थान नोनगढ़ बिहार की एक नर्सिंग छात्रा हूँ। मेरा घर बिहार के ही एक जिले ‘मुंगेर’ में स्थित है। मुझे जीवन के हर आयाम को सोचना-समझना अच्छा लगता है।
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