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About The Book
Description
Author
हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है। माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए। लगता है रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है।चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओरचाँद दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं। (वर्तमान पुस्तक से संदर्भित).